Krishna Janmashtami Vrat 2020 :- क्या है जन्माष्टमी की सही तारीख, व्रत कैसे करें, क्या है पूजा विधि, कथा और महत्व
जन्माष्टमी 2020 में 12 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी। माना जाता है कि श्री कृष्ण के अवतार का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण कंस का वध करना था।
Janmashtami 2020 :-श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी 2020 में 12 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था। साथ ही यह वही परम पुरुषोत्तम भगवान हैं जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है। हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास(Janamashtami History):- माना जाता है कि श्री कृष्ण के अवतार का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण कंस का वध करना था। कंस की एक बहन थी देवकी। देवकी कंस को अत्यंत प्रिय थी। कंस जब अपनी बहन का विवाह करवाकर वापस महल लौट रहा था। तब ही आकाशवाणी हुई कि हे कंस, तेरी इस प्रिय बहन के गर्भ से जो आठवीं संतान होगी वही तेरी मृत्यु का कारण बनेगी। इसलिए कंस ने अपनी बहन को कारागार में डाल दिया। जैसे ही देवकी किसी बच्चे को जन्म देती कंस उसे तुरंत जान से मार देता था।
जब आठवें बालक यानी श्री कृष्ण को देवकी जी ने जन्म दिया। तब भगवान विष्णु की माया से कारागार के सभी ताले टूट गए और भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव उन्हें मथुरा नन्द बाबा के महल में छोड़ कर चले गए। वहां एक कन्या ने जन्म लिया था। वह कन्या माया का अवतार थी। वासुदेव उस कन्या को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गए। कंस ने उस कन्या को देखा और गोद में लेकर उसे मारने की इच्छा से जमीन पर फेंका। नीचे फेंकते ही वो कन्या हवा में उछल गई और बोली कि कंस तेरा काल यहां से जा चुका है। वही कुछ समय बाद तेरा अंत भी करेगा। मैं तो केवल माया हूं। कुछ समय बाद ऐसा ही हुआ भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के महल आकर वहीं उसका अंत किया।
जन्माष्टमी का महत्व (Janamashtami Ka Mahatva/ Janamashtami Importance):- जन्माष्टमी का महत्व बहुत अधिक है। सभी वैष्णव जन्माष्टमी का व्रत करते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है यानी यह व्रतों में सबसे श्रेष्ठ व्रत माना गया है। इस दिन लोग पुत्र, संतान, मोक्ष और भगवद् प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं। माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति भी बढ़ती है। जन्माष्टमी का व्रत करने से अनेकों व्रतों का फल मिलता है।