Blog Details- Shri Ganga Jyotish

आकस्मिक मृत्यु / आत्मघात एवं ज्योतिष
26 / Aug / 2020

आकस्मिक मृत्यु / आत्मघात एवं ज्योतिष
 

अगर किसी की जन्मकुण्डली में लग्न व सप्तम भाव में कोई नीच ग्रह हों तथा लग्नेश व अष्टमेश का सम्बन्ध व्ययेश से हो और अगर अष्टमेश जल तत्व हो तो जल में डूबने से जातक की मृत्यु होती है ।

 

अगर अष्टमेश अग्नि तत्व हो तो अग्नि में जलकर मृत्यु होती है । वायु तत्व हो तो तूफान अथवा बज्रपात से जातक की मृत्यु संभव होती है । कर्क राशि का मंगल अष्टम भाव में पानी में डूबकर आत्मघात करवाता है । यदि अष्टम भाव में एक या अधिक अशुभ ग्रह हो तो जातक हत्या, अपघात, दुर्घटना अथवा किसी गम्भीर बीमारी से मरता है ।

 

जन्मकुण्डली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार स्त्री पुरूष के आकस्मिक मृत्यु योग कैसे बनता है, आइये जानें :-
यदि चतुर्थ भाव में सूर्य और मंगल बैठे हों, शनि दशम भाव में हो तो शूल से मृत्यु तुल्य कष्ट तथा अपेंडिक्स रोग से मौत हो सकती है । दुसरे भाव में शनि, चतुर्थ भाव में चन्द्र, दशम भाव में मंगल हो तो घाव के इन्फेक्शन से मृत्यु होती है ।

 

कुण्डली के दशम भाव में सूर्य और चतुर्थ भाव में मंगल बैठा हो तो कार, बस, वाहन की दुर्घटना से या पत्थर लगने से मृत्यु तुल्य कष्ट होता है । शनि कर्क और चन्द्रमा मकर राशिगत हो तो जल से अथवा जलीय जीव के आघात से मृत्यु सम्भव होता है । शनि चतुर्थस्थ, चन्द्रमा सप्तमस्थ और मंगल दशमस्थ हो तो कुएं में गिरने से मृत्यु होती है ।

 

क्षीण चन्द्रमा अष्टम स्थान में हो तथा उसके साथ शनि हो तो पिशाचादि दक्षिण पंथीय भावनाओं के वजह से निर्मित दोष से मृत्यु होती है । यहाँ विषघटिका योग बनता है, जिसमें जातक का जन्म होने से उसकी मृत्यु विष, अग्नि तथा क्रूर जीव से होना सम्भव हो जाता है । साथ ही अगर कुण्डली के दुसरे भाव में शनि, चतुर्थ में चन्द्र और दशम में मंगल हो तो मुख में कृमिरोग (कैंसर आदि) से मृत्यु होती है ।

 

कोई शुभ ग्रह दशम, चतुर्थ, अष्टम अथवा लग्न में हो और पाप ग्रह से दृष्ट हो तो बर्छी अथवा किसी तीखे धारदार हथियार की मार से जातक की मृत्यु होती है । यदि नवम भाव में मंगल हो तथा शनि, सूर्य और राहु कहीं एक घर में बैठे हों तथा किसी शुभ ग्रह से दृष्ट न हो तो बाण लगने से मृत्यु होती है ।

 

जब कुण्डली के अष्टम भाव में चन्द्रमा के साथ मंगल, शनि और राहु बैठे हों तो जातक की मृत्यु मिर्गी रोग से होती है । नवम भाव में बुध शुक्र हो तो हृदयाघात से जातक की मृत्यु सम्भव है । अष्टम भाव में शुक्र अशुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक की मृत्यु गठिया या मधुमेह जैसे रोग के कारण होती है । स्त्री की जन्म कुण्डली में सूर्य, चन्द्रमा मेष राशि या वृश्चिक राशिगत होकर पापी ग्रहों के बीच हो तो महिला शस्त्र व अग्नि से अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है ।

 

यदि किसी स्त्री की जन्म कुण्डली में सूर्य एवं चन्द्रमा लग्न से तृतीय, षष्ठम, नवम एवं द्वादश भाव में स्थित हो तथा पाप ग्रहों की युति व दृष्टि हो तो ऐसी महिला जातक फाँसी लगाकर या किसी जलाशय में कूद कर आत्म हत्या कर लेती है । कुण्डली के दुसरे भाव में राहु तथा सप्तम भाव में मंगल हो तो महिला की विषाक्त भोजन से मृत्यु सम्भव है ।

 

किसी महिला जातक की कुण्डली में सूर्य एवं मंगल चतुर्थ अथवा दशम भाव में बैठे हों तो ऐसी महिला जातक की पर्वत से गिर कर मृत्यु होती है । दशमेश शनि की व्ययेश एवं सप्तमेश मंगल पर पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसी महिला जातक की डिप्रेशन से मृत्यु होती है । पंचमेश नीच राशिगत होकर शत्रु ग्रह से दृष्ट हो तो ऐसी महिला का प्रसवकाल में मृत्यु सम्भव होती है ।

किसी महिला की जन्मकुण्डली में मंगल दुसरे भाव में हो, चन्द्रमा सप्तम भाव में हो, शनि चतुर्थ भाव में हो तो स्त्री कुएं, बाबड़ी, तालाब में कूद कर मृत्यु को प्राप्त होती है ।

 

अतः जब भी कोई भी व्यक्ति यदि डिप्रेट हो तो एक बार प्रबुद्ध ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें ताकी उस अवसाद के समय में ऊँची मार्गदर्शन मिल सकें। जीवन में यश और अपयश साथ साथ ही चलते है।

So "life Is Struggle Accept It."